कमल दल लोचना -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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नाग लीला




 

कमल दल लोचना, तैंने कैसे नाथ्यो भुजंग ।। टेक ।।
पैसि पियाल काली नाग नाथ्यों, फणफण निर्त करंत ।
कूद परयो न डरयो जल माहीं, और काहू नहिं संक ।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर, श्री वृन्दारबन चंद ।।170।।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कमल... लोचना = कमल दलों के समान नेत्रों वाले ( कृष्ण ) भुजंग = सर्प, काला नाग। पियाल = पाताल, गहराई में। काहू = किसी का। संक = शंका, भय।

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