कमल-नैन हरि करौ बियारी।
लुचुई लपसी, सद्य जलेबी, सोइ जेंवहु जो लगै पियारी।
घेवर, मालपूआ, मोतिलाडू, सधर खजूरी सरस सँवारी।
दूध बरा, उत्तम दधि बाटी, दाल-मसूरी की रुचि न्यारी।
आछौ दूध औटि धौरी कौ, लै आई रोहिनि महतारी।
सूरदास बलराम स्याम दोउ जेंवहु जननि जाइ बलिहारी।।227।।