कमलनैन अपनै गुन, मन हमार बाँध्यौ।
लागत तौ जान्यौ नहिं, विषम बान साध्यौ।।
कठिन पीर बेध्यौ सर, मारि गयौ माई।
लागत तौ जान्यौ नहिं, अब न सह्यौ जाई।।
मंत्र तंत्र केतिक करौ, पीर नाहि जाई।
है कोउ उपचार करै, कठिन दरद माई।।
कैसैहु नँदलाल पाउँ, नैकु मिलौ धाई।
'सूरदास' प्रेमफंद, तोरयौ नहि जाई।। 3285।।