कब की टेरति कुँवर कन्हाई।
ग्वाल सखा सब टेरत ठाढ़े, अरू अग्रज बल भाई।
दाऊ जू तुम ह्याँ नहिं आवत, करौ मुखारी आइ।
माता दुहुँनि दतौनी कर दै, जलझारी भरि ल्याइ।
उत्तम बिधि सौं मुख पखरायौ, ओदे बसन अँगौछि।
दोउ भैया कछु करौ कलेऊ, लइ बलाइ कर औंछि।
सद माखन दधि तुरत जमायौ, मधु मेवा मिष्ठान्न।
सूर स्याम बलराम संग मिलि, रुचि करि लागे खान।।609।।