कबहूँ फिर पांव न देहौं लला -पद्माकर कबहूँ फिर पांव न देहौं लला, भजि जैहौं तहां जहाँ सूधी सहौ । पदमाकर देहरी द्वार किवार लगे ललचैहौ न ऎसी चहौ । बहियाँ की कहा छहियां न कहूँ छुवे पावहुगे लला लाज लहौ । चित चाहे कहौ न कहौ बतियाँ, उतही रहौ हा हा हमैं न गहौ । संबंधित लेख - वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः