कबहूं फिर पांव न देहौं लला -पद्माकर

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कबहूँ फिर पांव न देहौं लला -पद्माकर


कबहूँ फिर पांव न देहौं लला, भजि जैहौं तहां जहाँ सूधी सहौ ।
पदमाकर देहरी द्वार किवार लगे ललचैहौ न ऎसी चहौ ।
बहियाँ की कहा छहियां न कहूँ छुवे पावहुगे लला लाज लहौ ।
चित चाहे कहौ न कहौ बतियाँ, उतही रहौ हा हा हमैं न गहौ ।

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