मीराँबाई की पदावली
विरह निवेदन
कबहूँ मिलेगो मोहि आई, रे तूँ जोगिया ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कबहूँ = कभी तो। जोगिया = जोगि, प्रियतम। अलख जगाई = पुकार पुकार कर अप्रत्यक्ष परमात्मा का स्मरण दिलाती हुई भीख माँगती फिरी। तपति- ज्वाला।
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