कबहुँ सुधि करत गुपाल हमारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार
नंदबचन


  
कबहुँ सुधि करत गुपाल हमारी।
पूछत पिता नंद ऊधौ सौ, अरु जसुदा महतारी।।
बहुतै चूक परी जनजानत, कहा अबकै पछिताने।
वासुदेव घर भीतर आए, मैं अहीर करि जाने।।
पहिलै गर्ग कह्यौ हुतौ हमसौ, संग दुःख गयौ भूल।
'सूरदास' स्वामी के बिछुरै, राति दिवस भयौ सूल।।3472।।

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