कछु दिन ब्रज औरौ रहौ 6 -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौरी


सब नाचहिं गावहिं सबै, हरि होरी है।
सब उड़ावहिं छार, अहो हरि होरी है।।
साधु असाधु न समुझही, हरि होरी है।
बोलहिं बचन बिकार, अहो हरि होरी है।।
अति अनीतिमिति देखि कै, हरि होरी है।
परिवा प्रगटी, आनि, अहो हरि होरी है।।
बिनत बसन तन साजहीं, हरि होरी है।
मरजादा की कानि, अहो हरि होरी है।।
आवत ही आदर करै, हरि होरी है।
हँसि जोरहि दोउ हाथ, अहो हरि होरी है।।
बरन धर्म मिति राखही, हरि होरी है।
कृपा करौ रतिनाथ, अहो हरि होरी है।।
सुनि बिनती रितुराज की, हरि होरी है।
प्रभु समुझे मन माँहि, अहो हरि होरी है।।
जाइ धर्म अपने रहौ, हरि होरी है।
बसौ हमारी बाँहि, अहो हरि होरी है।।
और कहाँ लौ बरनियै, हरि होरी है।
मनसिज के गुन ग्राम, अहो हरि होरी है।।
सुनहु स्याम या मास मैं, हरि होरी है।
कियौ जु कारन काम, अहो हरि होरी है।।
'सूर' रसिक मनि राधिका, हरि होरी है।
कहि गिरिधर सौ बात, अहो हरि होरी है।।
स्याम कृपा करि ब्रज रहौ, हरि होरी है।
बरजति मधुबन जास, अहो हरि होरी है।।2914।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः