कंस द्वारा देवकी पुत्रों की हत्या

कंस द्वारा आजीवन कारावास में डाल दिये जाने के पश्चात् देवकी तथा वसुदेव का कष्टमय जीवन प्रारम्भ हो गया। बाद में समय आने पर देवकी को प्रथम पुत्र हुआ।

  • वसुदेव अपने वचन के अनुसार उसे लेकर कंस के समीप पहुँचे। कंस ने वसुदेव का आदर किया और कहा- "इससे मुझे कोई भय नहीं है। आप इसे लेकर लौट जायें।"
  • वहाँ देवर्षि नारद भी उपस्थित थे। उन्होंने कंस से कहा- "राजन आपने यह क्या किया? विष्णु कपटी है। आपके वध के लिये उन्हें अवतार लेना है। पता नहीं वे किस गर्भ में आयें। पहला गर्भ भी आठवाँ हो सकता है और आठवाँ गर्भ भी पहला हो सकता है।"
  • देवर्षि की बात सुनकर कंस ने बच्चे का पैर पकड़कर उसे शिलाखण्ड पर पटक दिया। देवकी चीत्कार कर उठी। कंस ने नवदम्पति को तत्काल हथकड़ी-बेड़ी में जकड़कर कारागार में डाल दिया और कठोर पहरा बैठा दिया।
  • इसी प्रकार देवकी के छ: पुत्रों को कंस ने क्रमश: मौत के घाट उतार दिया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः