औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर -पद्माकर

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औरे भाँति कुंजन में गुंजरत भौर भीर(ऋतु वर्णन) -पद्माकर


औरे भाँति कुंजन में गुंजरत भौर भीर,
औरे भाँति बौरन के झौरन के ह्वै गए।
कहै ‘पदमाकर’ सु औरे भाँति गलियानि,
छलिया छबीले छैल औरे छबि छ्वै गए।
औरे भाँति बिहँग समाज में आवाज होति,
अबैं ऋतुराज के न आजु दिन द्वै गए।
औरे रस, औरे रीति औरे राग औरे रंग,
औरे तन औरे मन, औरे बन ह्वै गए।

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