औरनि कौ छबि कहा दिखावत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


औरनि कौ छबि कहा दिखावत।
तुमही कौ भावति मन मोहन, हम देखत रिस पावत।।
आपुन कौ भइ बड़ी प्रतिष्ठा, जावक भाल लगाऐ।
याकौ अरथ नही कोउ जानत, मारत सबनि लजाऐ।।
पिय निधरक, हम अति सकुचति है, दर्पन लै मुख देखौ।
'सूर' स्याम क्यौ बोलत नाही, क्यौ हम तन नहि पेखौ।।2544।।

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