ऐसैहि ऐसैं रैनि बिहानी।
चंद्र मलीन चिरैया बोली, सुनी काग की बानी।।
वै लुब्धे अनतहिं काहू कैं मन की आस भुलानी।
कपटी कुटिल कूर कह जानै, स्याम नाम जिय आनी।।
कोकिल स्याम, स्याम अलि दैखौ, स्याम रंग है पानी।
स्याम जलद, अहि स्याम कहावत, 'सूर' स्याम सोइ बानी।।2499।।