ऐसे हम देखे नँदनंदन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


ऐसे हम देखे नँदनंदन।
स्याम सुभग तनु, पीत बसन जनु, नीलजलद पर तड़ित सुछंदन।।
मंद मंद मुरली-रव-गरजनि, सुधा दृष्टि बरषति आनंदन।
बिबिध-सुमन-वनमाला उर, मनु सुरपति धनुष नये ही छंदन।।
मुक्तावली मनहुँ बगपगति, सुभग अंग चरचित छबि चंदन।
‘सूरदास’ प्रभु नोप-तरोवर-तर, ठाढ़े सुर-नर-मुनि बंदन।।1780।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः