विरह-पदावली -सूरदास (218) ऐसी जो पावस रितु प्रथम सुरति करि माधौ जू आवहिं। बरन-बरन अनेक जलधर, अति मनोहर भेष ।। तिहिं समै सखि गगन सोभा, सबहिं तै सुबिसेष । उड़त खग, बग-बृंद राजत, रटत चातक-मोर ।। बहुत बिधि चित रुचि बढ़ावत दामिनी घन घोर । धरनि तन तृन-रौंम पुलकित, पिय-समागम जानि ।। द्रुमनि बर बल्ली वियोगिनि, मिलतिं पति पहिचानि । हंस सुक, पिक, सारिका, अलि गुंज नाना नाद ।। मुदित मंडल मेघ बरखत, गत बिहंग बिषाद । कुटज, कुंद, कदंब, कोबिद, करनिकार सुकंजु ।। केतकी, करबीर बेला, बिमल बहु बिधि मंजु । सघन दल, कलिका अलंकृत, सुमन सुकृत सुबास ।। निकट[1] नैन निहारि माधौ, मन मिलन की आस । मनुज, मृग, पसु, पंछि परिमित, और अमित जु नाम ।। सुमिरि देस, बिदेस परिहरि, सकल आवैं धाम । यहै चित्त उपाय सोचति, कछु न परत विचार ।। कौन हित ब्रज-बास बिसरयौ, निकट नंद कुमार । परम सुहृद सुजान सुंदर, ललित गति मृदु हास ।। चारु लोल कपोल कुंडल डोल ललित प्रकास । बेनु कर बहु बिधि बजावत, गोप-सिसु चहुँ पास ।। सुदिन कब जब आँखि देखैं बहुरि बाल-बिलास । बार-बार सु बिरहिनी अति बिरह-ब्याकुल होति ।। बात-बेग बिलोल जैसें दीन दीपक जोति । सुनि बिलाप कृपालु सूरजदास करि परतीति ।। दरस दै दुख दूरि कीजै, प्रेम कौ यह रीति ।। टीका टिप्पणी और संदर्भ ↑ शुद्ध पाठ-निरखि नैनन होत मन माधौ मिलन की आस॥ संबंधित लेख विरह पदावली -सूरदास पद संख्या पद का नाम 1. सुन्यौ ब्रज-लोग कहत यह बात -सूरदास 2. ब्याकुल भए ब्रज के लोग -सूरदास 3. लैन कोउ आयौ -सूरदास 4. चलत जानि चितवतिं ब्रज जुवतीं -सूरदास 5. मधुबन चलन कहत हैं सजनी -सूरदास 6. सब मुरझानीं री -सूरदास 7. अनल तैं बिरह-अगिनि अति ताती -सूरदास 8. स्याम गऐ सखि प्रान रहैंगे -सूरदास 9. मन गह्वर मोहि उतर न आयौ -सूरदास 10. बहुत दुख पैयत हैं इहिं बात -सूरदास 11. इन्हैं कहा मधुपुरी पठाऊँ -सूरदास 12. यह अक्रूर क्रूर भयौ हम कौं -सूरदास 13. कैसैं जिऐ बदन बिनु देखें -सूरदास 14. बारंबार निरखि सुख मानति -सूरदास 15. नहिं कोहु स्यामहिं राखै जाइ -सूरदास 16. जसोदा बार-बार यौ भाषै -सूरदास 17. किहिं अवलंबन रहिहैं प्रान -सूरदास 18. मोहन इतौ मोह चित धरिऐ -सूरदास 19. जसुमति अतिहीं भई बिहाल -सूरदास 20. कहा अक्रूर ठगौरी लाई -सूरदास 21. सकुचन कहि न सकति काहू सौं -सूरदास 22. अबहीं सखी देखि आई है -सूरदास 23. कहँ वह सुख -सूरदास 24. बल मोहन बैठे रथ -सूरदास 25. बिनु परबै उपराग आजु हरि -सूरदास 26. आइ अक्रूर चले लै स्यामहि -सूरदास 27. मनैं कुसुम निरमायल दाम -सूरदास 28. गोपालहि राखहु मधुबन जात -सूरदास 29. मोहन नैकु बदन तन हेरौ -सूरदास 30. रही जहाँ सो तहाँ सब ठाढ़ी -सूरदास 31. चलतहुँ फेरि न चितए लाल -सूरदास 32. बिछुरत श्रीब्रजराज आजु -सूरदास 33. नंद नंदन के चलत सखी हौं -सूरदास 34. वह देखौ रथ जात -सूरदास 35. वह देखौ रथ जात -सूरदास 36. निकसे बचन सुनाइ सखी री -सूरदास 37. चलत न फेंट गही मोहन की -सूरदास 38. अब वे बातै ई ह्याँ रही -सूरदास 39. वह देखौ रथ जात -सूरदास 40. आज रैनि नहिं नींद परी -सूरदास 41. भयौ कठोर बज्र तैं भारी -सूरदास 42. पिय-समीप-सुख की सुधि आवै -सूरदास 43. सुंदर बदन सुख-सदन स्याम कौ -सूरदास 44. री मोहि भवन भयानक लागै माई -सूरदास 45. कहा हौं ऐसैं ही मरि जैहौं -सूरदास 46. गुपालराइ हौं न चरन तजि जैहौं -सूरदास 47. मेरे मोहन तुमहिं बिना नहिं जैहौं -सूरदास 48. नंदहि कहत हरि ब्रज जाहु -सूरदास 49. गोप सखा हरि बोधि पठाए -सूरदास 50. बार बार मग जोवति माता -सूरदास 51. नंदहि आवत देखि जसोदा -सूरदास 52. नंद ब्रजहिं आए -सूरदास 53. उलटि पग कैसैं दीन्हौ नंद -सूरदास 54. दोउ ढोटा गोकुल नाइक मेरे -सूरदास 55. नंद कहौ हो कहँ छाँड़े हरि -सूरदास 56. यह मति नंद तोहि क्यौ छाजी -सूरदास 57. फूटि न गईं तुम्हारी चारौ -सूरदास 58. नंद हरि तुम्ह सौं कहा कह्यौ -सूरदास 59. मेरौ अति प्यारौ नंद नंद -सूरदास 60. कहाँ रह्यौ मेरौ मन-मोहन -सूरदास 61. तब तू मोरिबोई करति -सूरदास 62. राम कृष्न कहि मुरछि परी धर -सूरदास 63. कैसैं प्रान रहे सुत-बिछुरत -सूरदास 64. तब तैं मिटे सब आनंद -सूरदास 65. अब वह सुरति होत कित राजनि -सूरदास 66. जसोदानंदन सुख संदेह दियौ -सूरदास 67. अब वह सुरति होत कित राजनि -सूरदास 68. चूक परी हरि की सेवकाईं -सूरदास 69. कहौ कंत कहँ तज्यौ स्याम कौं -सूरदास 70. लै आवहु गोकुल गोपालहि -सूरदास 71. सराहौं तेरौं नंद हियौ -सूरदास 72. सूल होत नवनीत देखि मेरे -सूरदास 73. ब्रज तजि गए माधौ कालि -सूरदास 74. नंद ब्रज लीजै ठोक बजाइ -सूरदास 75. माई हौं किन संग गई -सूरदास 76. हौं तौ माई -सूरदास 77. तुम्ह बिन इहाँ कुँवर बर मेरे -सूरदास 78. वह नातौ नहिं मानत मोहन -सूरदास 79. मोहन के मुख जोग -सूरदास 80. मेरौ कहा करत ह्वैहै -सूरदास 81. हौ तौ तिहारे सुत की -सूरदास 82. अबकी बेर बहुरि फिरि आवहु -सूरदास 83. कैसै टेब मिटति मन मोहन आँगन -सूरदास 84. देवकि माइ पाँइ लागति हौ -सूरदास 85. जौ पै राखति हौ पहिचानि -सूरदास 86. मेरे कुँवर कान्ह बिन सब कुछ -सूरदास 87. यह प्रीतम सौ प्रीति निरंतर -सूरदास 88. लोग सब कहत सयानी बातैं -सूरदास 89. जिहिं बिधि मिलनि मिलैं वै माधौ -सूरदास 90. कहँ वह प्रीति -सूरदास 91. प्रीति करि दीन्ही गरें छुरी -सूरदास 92. आई उघरि कनक-कलई सी -सूरदास 93. सेवा करत करी उन्ह ऐसी -सूरदास 94. तब तक डोरि लगाइ -सूरदास 95. सुनि री सखी -सूरदास 96. अनाथन की सुधि लीजै -सूरदास 97. देखियति कालिंदी अतिकारी -सूरदास 98. नाहिन मोर चंद्रिका माथें -सूरदास 99. दूरिहिं तैं सिंघासन बैठे -सूरदास 100. कह परदेसी कौ पतियारौ -सूरदास 101. कह परदेसी कौ -सूरदास 102. तातैं मन इतनौ दुख पावत -सूरदास 103. मदन गुपाल बिना या ब्रज की -सूरदास 104. अब वै बातैं उलटि गईं -सूरदास 105. अब वै मधुपुरी हैं माधौ -सूरदास 106. अब हौं कहा करौं री माई -सूरदास 107. इहिं बिरियाँ बन तैं ब्रज आवत -सूरदास 108. मोहन जा दिन बनहिं न जात -सूरदास 109. ते गुन बिसरत नाहीं उर तैं -सूरदास 110. इतने जतन काहे कौं किए -सूरदास 111. जाहि लगै सोई पै जानै -सूरदास 112. बिछुरें स्याम बहुत -सूरदास 113. यह कुमया जौ तबहीं करते -सूरदास 114. हरि हम तब काहे कौं राखी -सूरदास 115. दुसह बियोग स्याम सुंदर -सूरदास 116. बरष होत न एक पल सम -सूरदास 117. हरि न मिले माइ -सूरदास 118. तुम बिनु नंद सुवन इहिं गोकुल -सूरदास 119. सुमरत प्रीति लाज लागति है -सूरदास 120. ऐसौ कोउ नाहिंनै सजनी -सूरदास 121. बहुरौ देखिबौ इहिं भाँति -सूरदास 122. कब देखौं इहिं भाँति कन्हाई -सूरदास 123. यह जिय हौंसै पै जु रही -सूरदास 124. ब्रज में वै उनहार नहीं -सूरदास 125. कहाँ लौं मानौं अपनी चूक -सूरदास 126. कहा दिन ऐसैं ही चलि जैहैं -सूरदास 127. तिनकौ कठिन करेजौ सखि री -सूरदास 128. कहा कहौं या ब्रज बसि हरि बिनु -सूरदास 129. गोपालहि पावौं धौं किहिं देस -सूरदास 130. फिरि ब्रज आइऐ गोपाल -सूरदास 131. फिरि ब्रज बसहु गोकुलनाथ -सूरदास 132. काहें पीठि दई हरि मोसौं -सूरदास 133. हरि से पीतम क्यों बिसराहिं -सूरदास 134. प्रीतम बिनु ब्याकुल अति रहियत -सूरदास 135. बारक जाइयौ मिलि माधौ -सूरदास 136. सखी इन नैननि तैं घन हारे -सूरदास 137. नैना सावन भादौं जीते -सूरदास 138. सदा रहति पावस रितु हम पै -सूरदास 139. तब तैं नैन अनाथ भए -सूरदास 140. नैनन नाध्यौ है झर -सूरदास 141. अति रस लंपट मेरे नैन -सूरदास 142. हरि दरसन कौं तरसति अँखियाँ -सूरदास 143. कैसै रहै दरस बिनु देखे -सूरदास 144. जा दिन तै हरि चले मधुपुरी -सूरदास 145. सुंदर स्याम पाहुनै कै मिस -सूरदास 146. लोचन लालच तैं न टरैं -सूरदास 147. लोचन चातक ज्यौं हैं चाहत -सूरदास 148. सींचत नैन नीर के सजनी -सूरदास 149. इन लोभी नैननि के काजैं -सूरदास 150. बिछुरत उमँगि नीर भरि आए -सूरदास 151. हौं तौं दिन कजरा मैं दैंहौं -सूरदास 152. कहा इन्ह नैननि कौ अपराध -सूरदास 153. नैनन नींद परत नहिं सजनी -सूरदास 154. ह्याँ हैं स्याम हमारे प्रीतम -सूरदास 155. देखि सखी उत है वह गाँउ -सूरदास 156. लिखि नहिं पठवत हैं -सूरदास 157. देखि देखि मधुबन की बाटहि -सूरदास 158. वा मधुबन की राह -सूरदास 159. जब तैं बिछुरे कुंज बिहारी -सूरदास 160. सपनेहू में देखिऐ -सूरदास 161. इतनी दूरि गोपालहि माई -सूरदास 162. जहँ वै स्याम मदन मूरति -सूरदास 163. सपनें हरि आए -सूरदास 164. मैं जान्यौ री आए हैं हरि -सूरदास 165. जौ जागौं तौ कोऊ नाहीं -सूरदास 166. बचनन हौं अकुलाइ लई री -सूरदास 167. सुपने हूँ के सुख न सहि सकी -सूरदास 168. अब सखि नींदौ तौ जु गई -सूरदास 169. तन सिंगार कछू देखति नहिं -सूरदास 170. हम कौं सपनेहू मैं सोच -सूरदास 171. हरि बिन बैरिन नींद बढ़ी -सूरदास 172. सुनौ सखी -सूरदास 173. हम कौं जागत रैनि बिहानी -सूरदास 174. पिय बिनु नागिन कारी रात -सूरदास 175. तिरिया रैन घटें सचु पावै -सूरदास 176. कैसैं मिलौं स्यामसुंदर कौं -सूरदास 177. बहुरि कब आवैंगे -सूरदास 178. वे नहिं आए प्रान पियारे -सूरदास 179. बहुरौ गोपाल मिलैं -सूरदास 180. हरि आवहिं किहिं हेत -सूरदास 181. चलत न माधौ की गही बाहैं -सूरदास 182. जब हरि रथ चढ़ि चले मधुपुरी -सूरदास 183. मेरौ मन वैसिऐ सुरति करै -सूरदास 184. सहियत कठिन सूल निसि बासर -सूरदास 185. कमल नैन अपनै गुन -सूरदास 186. हरि जु हम सौं करी -सूरदास 187. मति कोउ प्रीति कें फंद परै -सूरदास 188. प्रीति पतंग करी पावक सौं -सूरदास 189. जौ पै हिलग हिए मैं है री -सूरदास 190. प्रीति तौ मरिबौई न बिचारै -सूरदास 191. प्रीति बटाऊ सौं कत करिऐ -सूरदास 192. बिछुरन जनि काहू सौं होइ -सूरदास 193. तब काहे कौं भए -सूरदास 194. तब सत कलप पलक सम जाते -सूरदास 195. जनि कोउ काहू कें बस होहि -सूरदास 196. यह सरीर नाहिन मेरौ -सूरदास 197. हम तौ भई जग्य के पसु ज्यौं -सूरदास 198. बोलि सखी चातक -सूरदास 199. बहुरि न कबहूँ -सूरदास 200. ब्रज मैं दोउ बिधि -सूरदास 201. ब्रज तैं पावस पै न टरी -सूरदास 202. ये दिन रूसिबे के नाहीं -सूरदास 203. अब बरषा कौ आगम -सूरदास 204. सँदेसनि मधुबन कूप -सूरदास 205. माई री ये मेघ गाजैं -सूरदास 206. ब्रज पै बदरा आए गाजन -सूरदास 207. देखियत चहुँ दिसि -सूरदास 208. ब्रज पै सजि पावस -सूरदास 209. सखी री पावस -सूरदास 210. बदरिया बधन बिरहिनी -सूरदास 211. स्याम बिना उनए ये -सूरदास 212. बरु ए बदरौ बरषन -सूरदास 213. बहुरि हरि आवहिंगे किहि -सूरदास 214. किधौं घन गरजत नहिं उन -सूरदास 215. घटा मधुबन पर बरषै -सूरदास 216. देखौ माई स्याम सुरति -सूरदास 217. तुम्हारौ गोकुल -सूरदास 218. ऐसी जो पावस रितु प्रथम -सूरदास 219. आज बन बोलन लागे मोर -सूरदास 220. आज बन बोलन लागे मोर -सूरदास 221. सखी री बूँद अचानक -सूरदास 222. सावन माई स्याम बिना -सूरदास 223. गगन सघन गरजत भयौ -सूरदास 224. आजु घन स्याम की -सूरदास 225. कैसैं कै भरिहैं री -सूरदास 226. बरषा रितु -सूरदास 227. घन गरजत माधौ -सूरदास 228. ऐसे बादर ता दिन -सूरदास 229. जो पै नंद सुवन -सूरदास 230. अब ब्रज नाहिंन -सूरदास 231. मानौ माई सबनि -सूरदास 232. सखि कोउ नई बात -सूरदास 233. बहुरि बन बोलन -सूरदास 234. इहिं बन मोर नहीं ये -सूरदास 235. आज बन मोरन गायौ आइ -सूरदास 236. सिखिनि सिखर चढ़ि -सूरदास 237. घन गरजत बरज्यौ -सूरदास 238. कोउ माई बरजै -सूरदास 239. रहु रहु रे बिहँग -सूरदास 240. बहुरि पपीहा बोल्यौ -सूरदास 241. सारँग स्यामहि सुरति -सूरदास 242. सखी री चातक मोहि -सूरदास 243. चातक न होइ -सूरदास 244. अब मेरी को -सूरदास 245. बहुत दिन जीवौ -सूरदास 246. हौं तौ मोहन के बिरह जरी रे -सूरदास 247. जौ तू नैंकेहूँ उड़ि -सूरदास 248. कोकिल हरि कौ बोल -सूरदास 249. सुनि री सखी समुझि -सूरदास 250. अब यह बरषौ बीति -सूरदास 251. सरद समैं हूँ स्याम -सूरदास 252. गोबिंद बिनु कौन हरै -सूरदास 253. सबै रितु औरै -सूरदास 254. मैं सब लिखि सोभा -सूरदास 255. मुरली कौन बजावै -सूरदास 256. हरि बिनु मुरली -सूरदास 257. माई बहुरि न बाजी -सूरदास 258. छूटि गई ससि -सूरदास 259. यह ससि सीतल -सूरदास 260. सखि कर धनु लै -सूरदास 261. हर कौ तिलक हरि -सूरदास 262. या बिनु होत कहा -सूरदास 263. सिंधु मथत काहें बिधु काढ़ौ -सूरदास 264. दूरि करहि बीना कर -सूरदास 265. बिधु बैरी सिर पै बसै -सूरदास 266. कोउ माई बरजै री -सूरदास 267. माई मोकौं चंद लग्यौ -सूरदास 268. अब हरि कौन सौं -सूरदास 269. अब या तनहि राखि -सूरदास 270. हमहि कहा सखि तन के -सूरदास 271. जियहिं क्यौ कमलिनि -सूरदास 272. ऐसौ सुनियत है द्वै -सूरदास 273. ऐसौ सुनियत -सूरदास 274. काहे कौं पिय पियहि रटति हौ -सूरदास 275. अब हरि निपटहिं -सूरदास 276. हौं कछु बोलति -सूरदास 277. बहु दिन ऐसौइ हौ री -सूरदास 278. माधौ दरसन की -सूरदास 279. सखि री बिरह यह -सूरदास 280. तउ गुपाल गोकुल -सूरदास 281. उन्ह ब्रजदेव नैकु -सूरदास 282. स्याम बिनोदी रे -सूरदास 283. कहौ री जो कहिबे -सूरदास 284. बिछुरे री मेरे -सूरदास 285. हरि परदेस बहुत -सूरदास 286. हमारे हिरदैं कुलिसहु -सूरदास 287. एक द्दौस कुंजन -सूरदास 288. हौं जानौं माधौ -सूरदास 289. नाहिंनैं अब ब्रज -सूरदास 290. ऐसे समय जो हरि -सूरदास 291. ब्रज कहा -सूरदास 292. हरि बिन कौन -सूरदास 293. किते दिन हरि दरसन -सूरदास 294. बिरह भर्यौ घर -सूरदास 295. जौ पै कोउ माधौ -सूरदास 296. सुरति करि ह्याँ की -सूरदास 297. हरि कहँ इते दिन -सूरदास 298. यह दुख कौन -सूरदास 299. गोबिंद अजहूँ नहिं आए -सूरदास 300. हम सरषा ब्रजनाथ -सूरदास 301. तुम्हारी प्रीति -सूरदास 302. माई वै दिन इहिं -सूरदास 303. हरि कौ मारग दिन -सूरदास 304. बिनु माधौ राधा तन -सूरदास 305. कर कपोल -सूरदास 306. सबै सुख लै जु गए -सूरदास 307. करिहौ मोहन -सूरदास 308. उन्ह कौं ब्रज बसिबौ -सूरदास 309. तब तैं बहुरि न कोऊ -सूरदास 310. बहुरौ हो ब्रज बात -सूरदास 311. तुम्हरे देस कागद -सूरदास 312. पथिक कह्यौ ब्रज -सूरदास 313. हमारे हरि चलन -सूरदास 314. हम तैं कमल नैन -सूरदास 315. नैना भए अनाथ -सूरदास 316. अब निज नैन अनाथ -सूरदास 317. उती दूर तैं को -सूरदास 318. हौं कैसें के दरसन -सूरदास 319. मानौ बिधि अब उलटि -सूरदास 320. आयौ नहिं माई -सूरदास 321. तातैं अति मरियत -सूरदास 322. जौ पै लै जाइ कोउ -सूरदास 323. उघरि आयौ परदेसी -सूरदास 324. माई री कैसैं बनै -सूरदास 325. सुनियत कहुँ द्वारिका -सूरदास 326. दधि सुत जात हौ -सूरदास 327. बीर बटाऊ पाती -सूरदास 328. स्याम बिनु भई सरद -सूरदास 329. ब्रज पै मंडर करत -सूरदास 330. ब्रज पै बहुरौ लागे -सूरदास 331. अब मोहि निसि देखत -सूरदास 332. माधौ या लगि है -सूरदास 333. हम तौ इतनें ही -सूरदास वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः