ऐसी कहौ बनिज कौं अटकीं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सूहौ


ऐसी कहौ बनिज कौं अटकीं।
मुख-मुख हेरि तरुनि मुसुक्‍यानी, नैन-सैन दै-दै सब मटकीं।।
हमहूँ कह्यौ दान दधि कौ कह, माँगत कुँवर कन्‍हाई।
अब लौं कहा मौन धरि बैठे, तबही नहीं सुनाई।।
हँसि बृषभानु-सुता तब बोली, कहा बनिज हम पास।
सूर स्‍याम लेखौ करि लीजै, जाहिं सबै ब्रजपास।।1525।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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