ए अलि हमे तो बात गात की न जानि परै ,
बूझत न काहे वामे कौन कठिनाई है।
कहै पदमाकर क्यों अंग न समाती आंगी ,
लागी काह तोहि जागी उर मे उंचाई है।
तौब तजि पाँयन चली है चंचलाई कितै ,
बावरी बिलोकै क्यों न आँखिन मैं आई है।
मेरी कटि मेरी भटू कौन धौं चुराई ,
तेरे कुचन चुराई कै नितंबन चुराई है।