एकै अलख अपार आदि अविगत है सोई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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उद्धववचन


एकै अलख अपार आदि अविगत है सोई।
आनि निरंजन नाम ताहि रीझै सब कोई।।
नैन नासिका अग्र है तहाँ ब्रह्म कौ वास।
अविनासी विनसै नहीं, सहज जोनि परकास।।

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