ऊधौ हमरौ कछू दोष नहिं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिहागरौ


 
ऊधौ हमरौ कछू दोष नहिं, वै प्रभु निपट कठोर।
हम हरि नाम जपति हैं निसिदिन, जैसे चंद चकोर।।
हम दासी बिन मोल की ऊधौ, ज्यौं गुड़िया बिनु डोर।
'सूरदास' प्रभु दरसन दीजै, नाही मनसा और।।3635।।

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