उस अरण्य में सर्वकामप्रद -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग भैरव - ताल कहरवा


कल्पवृक्ष


उस अरण्य में सर्वकामप्रद एक कल्पतरु शोभाधाम।
नव पल्लव प्रवाल-सम अरुणिम, पत्र नीलमणि-सदृश ललाम॥
कलिका मुक्ता, प्रभा, पुञ्ज-सी पद्मराग-से फल सुमहान।
सब ऋतु‌एँ सेवा करतीं नित परम धन्य अपनेको मान॥
सुधा-बिन्दु-वर्षी उस पादप के नीचे वेदी सुन्दर।
स्वर्णमयी, उद्भासित जैसे दिनकर उदित मेरु-गिरिपर॥
मणि-निर्मित जगमग अति प्राङ्गण, पुष्प-परागोंसे उज्ज्वल।
छहों ऊर्मियों से [1] विरहित वह वेदी अतिशय पुण्यस्थल॥
वेदी के मणिमय आँगन पर योगपीठ है एक महान।
अष्टदलों के अरुण कमल का उसपर करिये सुन्दर ध्यान॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. क्षुधा-पिपासा, शोक-मोह और जरा मृत्यु - ये छ: ऊर्मियाँ हैं।

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