उनकौ यह अपराध नही -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग जैनश्री


उनकौ यह अपराध नही।
वै आवत है नीकै मेरै, मै ही गर्व कियौ तनही।।
गर्व करे तै सरयौ कछू नहिं, एक भई तनु दसा नहीं।
सुख मिटि गयौ, हियौ, दुख पूरन, अब रैहौ इनही बिनही।।
अब जौ दरस देहि कैसैहू, फिरति रहौ सँग ही सँग ही।
'सूरदास' प्रभु कौ हियरे तै, अंतर करौ नही छिनही।।2105।।

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