उद्धव कुण्ड गोवर्धन
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विवरण | 'उद्धव कुण्ड' गोवर्धन में परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। श्रीकृष्ण की अनेकों लीलाओं से जुड़े हुए स्थानों में से यह एक है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
भौगोलिक स्थिति | परिक्रमा मार्ग पर 'कुसुम सरोवर' के ठीक पश्चिम में स्थित। |
संबंधित लेख | ब्रज, मथुरा, गोवर्धन, कृष्ण, राधा, उद्धव |
अन्य जानकारी | श्रीकृष्ण के प्रिय सखा उद्धव ने द्वारका की महिषियों को यहीं पर सांत्वना दी थी। |
अद्यतन | 04:30 15 जुलाई, 2016 (IST) |
उद्धव कुण्ड भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित ब्रज का प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। यह गोवर्धन में कुसुम सरोवर के ठीक पश्चिम में परिक्रमा मार्ग पर दाहिनी ओर स्थित है।
पुराण उल्लेख
- पुराणों आदि में इस कुण्ड का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया गया है। उद्धव जी ने द्वारका की महिषियों को यहीं पर सांत्वना दी थी।
- स्कन्द पुराण के श्रीमद्भागवत माहात्म्य प्रसंग में इसका बड़ा ही रोचक वर्णन है। वज्रनाभ महाराज ने शाण्डिल्य आदि ऋषियों के आनुगत्य में यहाँ उद्धव कुण्ड का प्रकाश किया। उद्धव जी यहाँ पास में ही गोपियों की चरणधूलि में अभिषिक्त होने के लिए तृण-गुल्म के रूप में सर्वदा निवास करते हैं।
कथा
कृष्णलीला अप्रकट होने पर कृष्ण की द्वारका वाली पटरानियाँ बड़ी दु:खी थीं। एक बार वज्रनाभ उनको साथ लेकर यहाँ उपस्थित हुए। बड़े ज़ोरों से संकीर्तन आरम्भ हुआ। देखते-देखते उस महासंकीर्तन में कृष्ण के सभी परिकर क्रमश: आविर्भूत होने लगे। अर्जुन मृदंग वादन करते हुए नृत्य करने लगे। इस प्रकार द्वारका के सभी परिकर उस संकीर्तन मण्डल में नृत्य और कीर्तन करने लगे। हठात महाभागवत उद्धव वहाँ के तृण-गुल्म से आविर्भूत होकर नृत्य में विभोर हो गये। फिर भला कृष्ण कैसे रह सकते थे? राधिका आदि सखियों के साथ वे भी उस महासंकीर्तन रास में आविर्भूत हो गये। थोड़ी देर के बाद ही वे अन्तर्धान हो गये।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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