- महाभारत विराट पर्व के गोहरण पर्व के अंतर्गत अध्याय 42 में उत्तर का बृहन्नला से पांडवों के अस्त्र-शस्त्र के विषय में प्रश्न करने का वर्णन हुआ है। यहाँ वैशम्पायन जी ने जनमेजय से उत्तर का बृहन्नला से पांडवों के अस्त्र-शस्त्र के विषय में प्रश्न करने की कथा कही है।[1]
विषय सूची
उत्तर-बृहन्नला संवाद
उत्तर ने पूछा - बृहन्नले! जिस पर सोने की सौ फूलियाँ जड़ी हैं, जिसके दोनों सिरे बहुत ही मजबूत और चमकीले हैं, यह उत्तम धनुष किस यशस्वी वीर का है? जिसकी पीठ पर सोने के प्रकायामान हाथी सुशोभित हो रहे हैं जिसके दोनों किनारे बड़े सुन्दर और मध्यभाग बहुत ही उत्तम है, यह श्रेष्ठ धनुष किसका है? जिसके पृष्ठभाग में शुद्ध सुवर्ण के बने हुए लाल पीले रंग वाले साठ इन्द्र गोप[2] नामक कीट पृथक - पृथक शोभा पा रहे हैं, यह उत्तम धनुष किसका है? जिसमें परस पर सटे हुए तीन सुवर्णमय सूर्य चिह्न प्रकाशित हो रहे हैं, जो तेज से मानो प्रज्वलित हैं, यह उत्तम धनुष किसका है? जिस पर तप्त सुवर्ण भूषित मीने के फतिंगे शोभा पा रहे हैं तथा जो उत्तम वर्ण की मणियों से जटित होने के कारण विचित्र दिखायी देता है, यह उत्तम धनुष किसका है?
उत्तर द्वारा बृहन्नला से अस्त्र-शस्त्र के विषय में पूछना
ये जो सोने के तरकस में सहस्रों नाराच रक्खे हुए हैं, जिनके सब ओर विशेषतः अग्रभाग में सोने का पानी चढ़ा हुआ है और जो सबके सब पंख वाले हैं, ये किसके उपयोग में आते हैं? ये मोटे-मोटे विपाठ [3]किसके हैं? इनमें गीध की पाँखें लगी हुई हैं। इन बाणों को पत्थर पर रगड़कर तेज किया गया है। इनके रंग हल्दी के समान हैं और अग्रभाग बहुत ही सुन्दर हैं। कारीगर ने इन पर भी खूब पानी चढ़ाया है। ये सबके सब लोहे के ही बाध हैं [4]जिस पर पाँच सिंहों के चिह्न हैं? ऐसा यह काले रंग का धनुष किसका है? यह तो सूअर के कान के समान नोक वाले दस बाणों को एक साथ धारण कर सकता है। ये जो शत्रुओं का रक्त पीने वाले मोटे, विशाल तथा अर्धचन्द्राकार दिखायी देने वाले सात सौ नाराच रक्खे हुए हैं, किसके हैं? जिनके पूर्वार्ध भाग तोते की पाँख के समान रंग वाले और उत्तरार्ध भाग सुवर्णमय पंख से युक्त एवं पीले हैं, जो पत्थर पर घिसकर तेज किये हुए और लोहे के बने हैं, ऐसे ये सुन्दर पाँख वाले बाण किसके हैं? जिसके पृष्ठ भाग में मेंढ़की का चित्र है और जिसका मुख भा भीद मेंढ़की के मुख सा बना हुआ है, ऐसा यह भारी भार सहन करने में समर्थ, दिव्य और शत्रु मण्डल के लिये भयंकर विशाल खड्ग किसका है?[1]
जो बाघ के चमड़े की बनी हुई म्यान के भीतर रक्खा गया है, जो सुवर्ण चित्रित और शत्रुओं के लिये असह्य है, जिसका अग्र भाग भी बहुत ही सुन्दर है, जिसकी म्यान पर चित्रकारी की हुई है, जो घुँघरूदार और विशाल है, वह सोने की मूठ वाला दिव्य एवं अत्यन्त निर्मल खड्ग किसका है? जिसे गोचर्म की म्यान में रक्खा गया है, जो निषध देश का बना हुआ है, जिसे कोई तोड़ नहीं सकता, जो भारी भार सह सकमा है, वह सोने की मूठ वाला विमल खड्ग किसका है? जिसे बकरे की बनी हुई म्यान में रक्खा गया है, जो सोने की मूठ से युक्त और सुवर्ण भूषित स्वरून वाली है, वह उचित लंबाई -चैड़ाई एवं आकृति वाली, आकाश के समान नीलोज्जवल एवं पानी दार तलवार किसकी है?
जो अग्नि के समान प्रकाशमान एवं आग में तपाये शुद्ध सुवर्ण की बनी हुई म्यान में सुरक्षित, भारी, पानीदार तथा तीस अंगुल से बड़ा है, जो स्वर्णबिन्दुओं से विभूषित तथा काले रंग का है, जिसे शत्रु काट नहीं सकते, जिसका स्पर्श सर्प के समान है, जो शत्रु के शरीर को चीर डालने वाला, भारी भार सहन करने में समर्थ, दिव्य एवं शत्रुओं के लिये भयदायक है, वह खड्ग किसका है? बृहन्नले! मैंने जो पूछा है, उसे ठीक-ठीक बताओ। ये सब महान अस्त्र-शस्त्र देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है।[5]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 महाभारत विराट पर्व अध्याय 42 श्लोक 1-11
- ↑ बीर बहूटी
- ↑ स्थूल दण्ड वाले बाण विशेष
- ↑ अर्थात इनमें नीचे काठ का दंड नहीं लगा है।
- ↑ महाभारत विराट पर्व अध्याय 42 श्लोक 12-18
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