ईश्वर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- ईश्वर (बहुविकल्पी) |
ईश्वर वेदान्त की परिभाषा में विशुद्ध सत्त्वप्रधान, सर्वोच्च शक्तिमान, सर्वसमर्थ, विश्वाधिष्ठाता, स्वामी, पमात्मा, अज्ञानोपहित चैतन्य को कहते हैं।
- ईश्वर अन्तिम अथवा पर तत्त्व नहीं है, अपितु अपर अथवा सगुण ब्रह्म है। परम ब्रह्म तो निर्गुण तथा निष्क्रिय है।
- अपर ईश्वर सगुण रूप में सृष्टिकर्ता और नियामक है, भक्तों और साधकों का ध्येय है। सगुण ब्रह्म ही पुरुष अथवा ईश्वर नाम से सृष्टि का कर्ता, धर्ता और संहर्ता के रूप में पूजित होता है। वही देवाधिदेव है और समस्त देवता भी उसी की विविध अभिव्यक्तियाँ हैं।
- संसार के सभी महत्त्वपूर्ण कार्य ईश्वर के नियन्त्रण में होते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दू धर्म कोश |लेखक: डा. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्था (हिन्दी समिति प्रभाग), लखनऊ |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 104-105 |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज