इतनी बात अलि कहियौ हरि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग संकराभरन


इतनी बात अलि कहियौ हरि सौ कब लगि यह मन दुख मैं गारै।
पथ जोहत तन कोकिल वरन भई, निसि न नीद पिय पियहि पुकारै।।
जा दिन तै बिछुरे नँदनंदन, अति दुख दारुन क्यौ निरवारै।
‘सूरदास’ प्रभु बिनु यह विपदा, काकौ दरसन देखि बिसारै।।4061।।

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