मीराँबाई की पदावली
प्रेमासक्ति राग कामोद
आली रे मेरे नैणाँ बाण पड़ी ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ - नैणाँ = नयनों वा आँखों को। बाण = बान, स्वभाव। चित चढ़ी = हृदक पर अधिकार जमा चुकी। माधुरी = माधुर्य से भरी हुई। आन अड़ी = आकर जग गई। कबकी...निहारूँ = कितने समय से प्रतीक्षा कर रही हूँ। जीवन...जड़ी = प्राणों के आधार स्वरूप औषध के समान। मीराँ...बिकानी = आत्मसमर्पण कर दिया।
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