आली रे मेरे नैणां बाण पड़ी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
प्रेमासक्ति

राग कामोद


आली रे मेरे नैणाँ बाण पड़ी ।। टेक ।।
चित्त चढ़ी मेरे माधुरी मूरत, उर बिच आन अड़ी ।
कब की ठाढी पंथ निहारूं, अपने भवन खडी़ ।
कैसे प्राण पिया बिनि राखूँ, जीवन मूर जड़ी ।
मीराँ गिरधर हाथ बिकानी, लोग कहैं बिगड़ी ।।11।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. - नैणाँ = नयनों वा आँखों को। बाण = बान, स्वभाव। चित चढ़ी = हृदक पर अधिकार जमा चुकी। माधुरी = माधुर्य से भरी हुई। आन अड़ी = आकर जग गई। कबकी...निहारूँ = कितने समय से प्रतीक्षा कर रही हूँ। जीवन...जड़ी = प्राणों के आधार स्वरूप औषध के समान। मीराँ...बिकानी = आत्मसमर्पण कर दिया।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः