आपु भलाई सबै भले री।
जो वह भली गुननि की पूरी, तौ ढरि स्याम मिले री।
इक जुवती, अरु मधुरैं गावति, बानी ललित कहै री।।
जब-जब स्याम अधर पर राखत तब तब सुधा बहै री।
एते पर हम सौं सनमुख है तुम काहैं रिस पावति।।
सूरदास-प्रभु कमल नयन कौं, एते पर वह भावति।।1355।।