आपुन चढ़े कदम पर धाई।
बदन सकोर भौंह मोरत हैं, हाँक देत करि नंद-दुहाई।।
जाइ कहौ भैया के आगैं लेहु सबै मिलि मोहिं बंधाई।
मोकौं जुरि मारन जब आईं तब दान्ही गेंड़ुरी फटकाई।।
ऐसैं करि मोकौं तुम पायौ, मनु इनकी मैं करौं चेराई।
सूर स्याम वे दिन बिसराए, जब बाँधे तुम ऊखल लाई।।1418।।