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पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
वंदना एवं प्रार्थना
राग जैतकल्याण - ताल मूल
आते हो तुम बार-बार प्रभु! मेरे मन-मन्दिर के द्वार। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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राग जैतकल्याण - ताल मूल
आते हो तुम बार-बार प्रभु! मेरे मन-मन्दिर के द्वार। |