आज म्‍हांरो साधु जननो संगरे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरोध



आज म्‍हाँरो साधु जननो संगरे, राणा म्‍हाँरा भाग भल्‍याँ ।।टेक।।
साधु जननो संग जो करिये, चढे ते चौगणो रंगरे ।
साकट जनन तो संग न करिये, पड़े भजन में भंगरे ।
अठसठ तीरथ संतो ने चरणे, कोटि कासीने सोय गंगरे ।
निन्‍दा करसे नरक कुंड माँ जासे थासे आँघला अपंग रे ।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, संतो नीरज म्‍हाँरे अंग रे ।।33।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जननो = लोगों का। चढ़ेते = चढ़ जाता है। साकट जन = भक्तिहीन। अठसठ तीरथ = अरसठ तीर्थ स्थान। सतों ने चरणे = संतों के चरण में ही। सोय = वही। करसे, जासे, थासे = करेगा, जायगा, हो जायेगा। संतों नीरज = सतो की धूल।

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