आजु सर्बरी सर्व बिहानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिहागरौ


आजु सर्बरी सर्व बिहानी, तोहिं मनावत राधा रानी।
लागे उदय होन सुक, जागे तमचुर ढरि आई जु मृगानी।।
प्रफुलित कमल, गुंजार करत अलि, पहु फाटी, कुमुदिनि कुम्हिलानी।
'सूर' स्याम बन मुरछि परे हैं, मान निबारौ, क्यौ झहरानी।।2799।।

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