आजु लालन लटपटात माई आए अनुरागे -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


आजु लालन लटपटात माई आए अनुरागे।
अंग अंग आलस भरे रैनि उनीदे जागे।।
लटपटी सिरपेच, पाग, छूटे बंधन लागे।
'सूर' स्याम जागे जहाँ, सोइ त्रिया बड़ भागे।।2643।।

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