आजु गृह नंद महर कैं बधाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


आजु गृह नंद महर कै बधाइ।
प्राप्त समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद-छवि पाइ।
मिलि ब्रज-नागरि मंगल गावतिं, नंद भवन मैं आइ।
देतिं असीस, जियौ जसुदा-सुत कोटिनि बरस कन्हाइ।
अति आनंद बढ़यौ गोकुल मैं उपमा कही न जाइ।
सूरदास धनि नँद की घरनी, देखत नैन सिराइ॥33॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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