आजु कहुँ मुरली स्याम बजाई -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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आजु कहुँ मुरली स्याम बजाई।
तब तै तरवर मोर सबै पुर रही बदरिया छाई।।
गौवनि अधर दसन तृन रहि गयौ बछरा पियत न घाई।।
सिंध साधक ब्रह्मादिक येऊ रहे सबै लौ लाई।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ धुनि सुनि सुनि उठि धाई।। 8 ।।

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