आजु कछू घर कलह भयौ री -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


आजु कछू घर कलह भयौ री।
तबै आजु अनमनी बत्यानी, यह कछु मान ठयौ री।।
मोकौ कछू कह्यौ नहिं मोहन, सहज पठाई लैन।
कहा पुकार परी हरि आगै चलौ न देखौ नैन।।
तेरौ नाम लेत हरि आगै, कहत सुनाइ सुनाइ।
'सूर' सुनहु काकौ काकौ गथ, तै धौ लियौ छुड़ाइ।।2429।।

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