आजु अति रैनि उनीदे लाल -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग ललित


आजु अति रैनि उनीदे लाल।
तुम पौंढौ मैं चरन पलोटौं, पिय जनि जानौ ख्याल।।
सुमन सुगंध सेज है डासी, देखत अंग बिहाल।
मेरे कहैं न्हाहु, कछु भोजन, करौ न मदनगुपाल।।
निसि स्रम भयौ पीर मोहिं आवति, सुनति परस्पर बाल।
'सूर' स्याम सुनि बचन कपट तिय, भरि लीन्ही अँकमाल।।2650।।

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