आजु अजन दियौ राधिका नैन कौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कल्यान


आजु अजन दियौ राधिका नैन कौं।
मीन गुनहीन, मृग लजित, खंजन चकित चंचल सरस स्याम सुख दैन कौं।।
लसत दाड़िम दसन, भौंह मन्मथ फंद, सुलप लट लटकि रही, रहत नहिं चैन कौं।
कसनि कबुकि बद, उर मुकुतमाल, मुख निरखि उडराज तजि गयौ सुरऐन कौं।।
रुनित नूपुर चरन, छुद्र कटि घटिका, कनक-तन-गोर-छबि उमँगि उपरैन कौं।
'सुर' सुनि स्रवन उठि, नवल गिरिधर सेज, चली गजगति मनौ मदन गढ लैन कौं।।2450।।

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