आए लाल जामिनि जागे भोर -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सुघराई


आए (लाल) जामिनि जागे भोर।
नील कलेबर, कोमल उर पर, गड़ि गए, कुच जु कठोर।।
निसि बसि रहे मानिनी कै गृह, अब आए इहि ओर।
'सूरदास' प्रभु बचन बनावत, चोरत हौ मन मोर।।2513।।

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