आँगन मैं हरि सोइ गए री -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कान्‍हरौ



आँगन मैं हरि सोइ गए री।
दोउ जननी मिली कै, हरुऐं करि, सेज सहित तब भवन लए री।
नैंकु नहीं घर मैं बैठन हैं, खेलहि, के अब रंग रए री।
इहिं बिधि स्‍याम कबहुँ नहिं सोए बहुत नींद के बसहिं भए री।
कहति रोहिनी सोवन देहु न, खेलत दौरत हारि गए री।
सूरदास प्रभु कौ मुख निरखत, हरखत जिय नित नेह नए री।।247।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः