अहिर जाति गोधन कौ मानै।
नंदनँदन सुर-नर-मुनि-बदन, तिनकी महिमा ये क्यौ जानै।।
धनि राधा उपहास धन्य यह, सदा स्यामही के गुन गानै।
परम पुनीत हृदय अति निर्मल, बार बार वा जसहिं बखाने।।
स्याम काम की पूरनहारी, ताकौ कुलटा करि पहिचानै।
'सूरदास' ऐसे लोगनि कौ नाउँ न लीजै होत बिहानै।।1925।।