अष्ट सखी करतीं सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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दोहा


राग माँड़ - ताल कहरवा


अष्ट सखी करतीं सदा सेवा परम अनन्य।
राधा-माधव-जुगल की, कर निज जीवन धन्य॥
इनके चरण-सरोज में बारंबार प्रनाम।
करुना कर दें श्रीजुगल-पद-रज-रति अभिराम॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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