अब हौ कहा करौ री माई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


अब हौ कहा करौ री माई।
नंदनँदन देखै बिनु सजनी, पल भरि रह्यौ न जाई।।
घर के मात पिता सब त्रासत, इहिं कुल लाज लजाई।
बाहर के सब लोग हँसत हैं, कान्ह सनेहिनि आई।।
सदा रहत चित चाक चढ्यौ सो, गृह अँगना न सुहाई।
'सूरदास' गिरिधरन लाड़िले, हँसि करि कंठ लगाई।। 3200।।

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