अब हरि भलै जाइ पढि आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


अब हरि भलै जाइ पढि आए।
अबलनि हूँ कौ जोग सिखावन, तुमसे गुनी पठाए।।
जौ पै ऊधौ यही बतावत, रस मैं काहे न गाए।
करी करतूति कहत नहिं आवै, जोग नीति लै आए।।
वै अकूर वेइ हरि ऊधौ, आन्यौ जोगहि बाँचै।
हम तौ ‘सूर’ तबहिं सचु पावै, जौ फिरि गोकुल नाचै।।3992।।

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