अब तौ कहै बनैगी माइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी


अब तौ कहै बनैगी माइ।
कहा स्याम अचरज सो कीन्हौ, कहत कह्यौ नहिं जाइ।।
कैसै लाल अनंत तै आए, कैसै तेरै गेह।
कैसै मान कियौ, क्यौ मिटि गयौ, कैसै बढ़यौ सनेह।।
तब गदगद बानी मुख प्रगटी, सुनि सजनी दै कान।
'सूरज' प्रभु के चरित सुनाऊँ, जैसै बिसरयौ मान।।2531।।

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