अब तो मेरा राम नाम, दूसरा न कोई (टेर)
माता छोड़ी पिता छोड़े, छोड़े सगा भाई।
साधु संग बैठ-बैठ, लोकलाज खोई।।1 - अब.
सन्त देख दौड़ आई, जगत देख रोई।
प्रेम आँसु डार-डार, अमर बेल बोई।।2 - अब.
मारग में तारग मिले, सन्त राम दोई।
सन्त सदा शीश राखूँ, राम हृदय होई।।3 - अब.
अन्त में से तन्त काढ़ी, पीछे रही सोई।
राणे भेज्या विष का प्याला, पीवत मस्त होई।।4 - अब.
अब तो बात फैल गई, जाणे सब कोई।
दास मीराँ लाल गिरधर, होनी हो सो होई।।5 - अब.[1]
राग - झँझोटी : ताल - दादरा
(प्रेम-दृढ़ता)