अब तुम कही हमारी मानौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


अब तुम कही हमारी मानौ।
बन मैं आइ रैनि-सुख देख्यौ, यहै लह्यौ सुख जानौ।
अब ऐसी कीजौ जनि कबहुँ, जानति हौ मन तुमहू।।
यह धौं सुनै कहूँ जो काऊ, तुमहिं लाज अरु हमहूँ।।
हम तौ आजु बहुत सरमाने, मुरली टेरि बजायौ।
जैसौ कियौ लह्यौ फल तैसौ, हमहीं दूषन आयौ।।
अब तुम भवन जाहु, पति पूजहु परमेस्वर की नाई।
सूर स्याम जुवतिनि सौं यह कहि, करि अपराध छमाई।।1014।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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