अबतो निभायां सरेगी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
स्‍तुति प्रार्थना


राग रामकली


अबतो निभायाँ सरेगी, बाँह गहे की लाज ।। टेक ।।
समरथ सरण तुम्‍हारी सइयाँ, सरब सुधारण काज ।
भव सागर संसार अपरबल, जामें तुम हो भयाज ।
निरधाराँ आधार जगत-गुरु, तुम बिन होय अकाज ।
जुग जुग भीर हरी भगतन की, दीनी मोक्ष समाज ।
मीरा सरण गही चरणन की, लाज[1] रखो महाराज ।।64।।[2]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पेज।
  2. निभायाँ सरेगी = निबाहनी पड़ेगी। समरथ = समर्थ, योग्य। सरब... काज = सभी कार्य सुधारने के। अपरबल = प्रबल, अपार ( देखो - ‘पाणों माहैं प्रजली, भई अप्रबल आगि’ - कबीर )। झयाज = जहाज, सहारा। निरधाराँ = असहायों के। समाज = समुदाय तक को।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः