टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पेज।
- ↑ निभायाँ सरेगी = निबाहनी पड़ेगी। समरथ = समर्थ, योग्य। सरब... काज = सभी कार्य सुधारने के। अपरबल = प्रबल, अपार ( देखो - ‘पाणों माहैं प्रजली, भई अप्रबल आगि’ - कबीर )। झयाज = जहाज, सहारा। निरधाराँ = असहायों के। समाज = समुदाय तक को।
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