अनालम्ब हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुशासन पर्व में इस तीर्थ का नैमिषारण्य के साथ उल्लेख है जिससे इसकी स्थिति का कुछ अनुमान किया जा सकता है।
'मतंगवाप्यां य: स्नानादेकरात्रेण सिद्धयति विगाहति ह्यनालंबमंधकं वै सनातनम्'[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अनुशासन पर्व महाभारत, 25, 32
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 12 |