अनल तै बिरहअगिनि अति ताती।
माधव चलन कहत मधुबन कौं, सुने तपति अति छाती।।
न्याइहिं नागरि नारि बिरहबस, जरतिं दिया ज्यौं बाती।
जे जरि मरी प्रगट पावक परि, ते त्रिय अधिक सुहाती।।
ढारतिं नीर नयन भरि भरि सब, व्याकुलता मदमाती।
'सूर' विथा सोई पै जानै, स्याम-सुभग-रँग-राती।।2963।।