अनत सुत गोरस कौं कत जात -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग नट



अनत सुत गोरस कौं कत जात?
घर सुरभी कारी धौरी कौ माखन माँगि न खात।
दिन प्रति सबै उरहने कैं मिस, आवति है उठि प्रात।
अनलहते अपराध लगावति, बिक्‍ट बनावतिं बात।
निपट निसंक विवादतिं संमुख सुनि सुनि नंद रिसात।
मोसौं कहति कुपन तेरै घर ढोटाहू न अघात।
करि मनुहारि उठाइ गोद लै, बरजति सुत कौं मात।
सूर स्‍याम नित सुनत उरहनौ, दुख पावत तेरौ तात।।326।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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