अणु-महान्‌ तुम! अणु-महान्‌ में -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

अभिलाषा

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


अणु-महान्‌ तुम! अणु-महान्‌ में भरे पूर्ण रहते भगवान।
अमित विभिन्न नाम-रूपों में व्यक्त तुम्हीं अव्यक्त समान॥
देखूँ सदा तुम्हीं को सब में, करूँ सभी का मैं सम्मान।
विनय-विनम्र हृदय से सबको करूँ प्रणाम बिना अभिमान॥
स्वसुख-दुःखमें सम देखूँ मैं तुम्हें, तुम्हारा पा वरदान।
सुखमय, नित निर्द्वन्द्व बनूँ मैं, रहे न मन कुछ भी अरमान॥
पर पर-दुःख दुखी हो पर-सुख-हेतु करूँ निज सुख का दान।
हरण करूँ पर-दुःख, वरण मैं करूँ उसे मन मोद महान॥
सबके हित-सुखमें ही समझूँ अपना हित-सुख परम अमान।
समझूँ अति सौभाग्य, करूँ मैं नहीं कभी भी कुछ अहसान॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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